Photo Credit: Aaron Burden

 

 

वो रातो में हम झूले पे बैठ के एफएम सुनते थे,
ठंडी हवा के झोखे लेते थे
वो ट्रक के भोपु की आवाजें,
वो रात में जुगनुओं की खटर पटर
वो शाम को मंदिर जाना,
वो परीक्षा से पहले पोलो खाना
अब तो बस यादे रह गई है|
मोबाइल तो छोड़ो किसी दिन तुम यार,
जी लो वह पुराने दिन फिर से तुम आज

 

 

हवा तो आज भी ठंडी चलती हैं रातों में,
बैठते क्यों नहीं फिर आज वही बालकनी में
तारे तो आज भी रात में टिमटिमाते हैं,
क्यों देखते नहीं हो उन्हें भी तुम आज
वो ऐफअम और रेडियो तो आज भी चलते हैं,
सुनते क्यों नहीं हो वो फिर से मधुर आवाज़
मोबाइल तो छोड़ो किसी दिन तुम यार
जी लो वह पुराने दिन फिर से तुम आज

 

 

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